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Sunday, November 14, 2010

Feedback From L.M. Pandey ji (Retd. DIG- SSB)

‘‘सृजन से‘‘ पत्रिका का तीसरा अंक मिला, धन्यवाद इस पत्रिका के मिलने पर एक आश्चर्य मिश्रित आनन्द की अनुभूति हुई। कुछ देर तक सोचता रहा, मेरा पता इस पत्रिका तक किसने पहुंचाया होगा? पत्रिका खोलने पर दिनेश जी का ‘‘साक्षात्कार देखते ही गुत्थी सुलझ गई। उनके द्वारा ही आप तक मेरा पता पहुचा होगा श्री दिनेश जी मेरे बड़े अच्छे मित्र हैं, जिन्हांेने मुझे भी सही रास्ता दिखलाया। आपकी पत्रिका के संरक्षक मंडल के सदस्यों में से दो सदस्य सर्वश्री डा0 मठपाल वं नईमा जी से भी मैं भलीभांति परिचित हूँ। अब उन्हें याद हो अथवा नहीं, मुलाकातें पुरानी हो गयी हैं। नईमा जी का नाम देखकर ही मुझे अपने बचपन के सांस्कृतिक क्रियाकलापों की स्मृति लौट आई, आपको भी अपने बचपन की एक झलक से परिचित कराने के लिए एक प्रति संलग्न कर भेज रहा हूँ। ‘‘सृजन से‘‘ पत्रिका समय की मांग के अनुरूप साहित्यिक सौष्ठव एवं सहजता से उच्च आदर्शों के प्राप्ति हेतु रची गयी लगती है। उच्च कोटि के लेखकों, कवियों, रचनाकारों की रचनाओं से पत्रिका का कलेवर सजाया गया है जिसमें हिन्दी साहित्य के सभी अंगों का समावेश बड़े सुरूचिपूर्ण ढंग से किया गया है। आलेख, कहानी, कविता, साक्षात्कार, कला समीक्षा, समालोचना आदि 52 पृष्ठों की इस पत्रिका में ‘‘गागर में मोतियों भरा सागर‘‘ लगता है, जिसे आरम्भ से अंत तक पूरा पढ़ने को जी करता है। मैने इस पत्रिका को एक ही बार में सम्पूर्ण पढ़ डाला। हर रचना की इसमे अपनी विशेषता है। कहानियां बड़ी रोचक, कविताएं सारगर्भित, आलेख बड़े सुन्दर हैं। दिनेश जी द्वारा लिया गया मृदुला जी का साक्षात्कार उच्च कोटि का है। मैं इसका दूसरा भाग भी पढ़ना चाहूँगा। सम्पादकीय कुछ अलग होने से उसमें विशेष सुगन्ध है। निष्ठा पूर्वक किया गया कार्य अपना निर्धारित लक्ष्य अवश्य प्राप्त करता है। मैं पत्रिका के लिए बधाई एवं अपनी हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित करता हूॅ।

‘‘सृजन से‘‘ पत्रिका की बेल देश-विदेश में दूर-दूर तक फैले, फले, फूले, तथा इसकी महक से सभी आनन्दित हों। यही मेरा आशीर्वाद है।

एल. एम. पाण्डे
हल्द्वानी (उत्तराखंड)

Feedback From Bhagwan Das Jain ji

आपके द्वारा प्रेषित व सुसंपादित त्रैमासिक पत्रिका ‘सृजन से‘ यथासमय प्राप्त हुई। साभार धन्यवाद! बड़े मनोयोग से ‘सृजन से‘ के नवीनतम जुलाई-सितंबर 2010 अंक का पर्यवेक्षण किया! मैं सुखद-आश्चर्य से विमुग्ध हूँ कि अभी तो पत्रिका प्रथम वर्ष के तीसरे सोपान (अंक) तक ही पहुँची है अर्थात् वह शैशवावस्था में है फिर भी अन्तर्बाह्म दोनों दृष्टियों से कितनी परिपुष्ट एवम् नयनाभिराम है, यानि वही कहावत चरितार्थ होती है कि- ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात’ पाठकीय सार्थक सुझावों का निरंतर क्रियान्वयन करते हुए शीघ्र ही एक दिन पत्रिका बुलंदी पर प्रतिष्ठित होगी। ‘सृजन से‘ की सृजनात्मक चेतना से अभिभूत हूँ। ‘आज़ादी के मायने‘ शीर्षक अपने संपादकीय में आपने यथार्थ ही कहा है कि ‘सिर्फ तानाशाह बदल जाते हैं, गुलामी की सूरत वही रहती है आज़ादी के मायने नहीं बदलते।’ पत्रिका में कुछ बोधप्रद हैं-जैसे ‘लक्ष्य से जीत तक’ (कवि कुलवंत सिंह), ‘पेड़ हमारे जीवन साथी’ (मकबूल वाजिद), ‘शोर‘ शीर्षक संक्षिप्त एकांकी (शराफ़त व अली खान) तो बहुत कुछ ज्ञान वर्द्धक एवं विचारोत्तेजक भी है, यथा-दादर पुल का बच्चा-बी विद्वल (मनमोहन सरल) और यूँ हुई रचना श्री नन्दा स्तुति की (हेमन्त जोशी) और कुछ विशुद्ध साहित्यिक सामग्री भी अंक में मौजूद है- कथा क्षेत्र के बहुश्रुत व बहुआयामी साहित्यकार भीष्म साहनी पर सुश्री किरन पाण्डे का आलेख अच्छा लगा। सुश्री नीतू चौधरी के लेख ‘अवध की आत्मा वाजिदअली शाह‘ ने भी मुझे काफी प्रभावित किया। डॉ. सौमित्र शर्मा का आलेख ‘रामकाव्य के मर्मज्ञ‘ डॉ रमानाथ त्रिपाठी तथा श्री दिनेश द्विवेदी द्वारा लिया गया प्रतिष्ठित कथा लेखिका एवं नारी विमर्श की सकारात्मक सोच की पक्षघर श्रीमती मृदुला गर्ग का साक्षात्कार (पहला भाग) ‘सृजन से‘ की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं जो अंक को संग्रहणीय बनाती हैं। कविताएँ अच्छी हैं। दोनों ग़ज़लें (श्री अंबर खरबंदा, श्री अशोक यादव) बहुत अच्छी और काबिलेदाद हैं। कहानियाँ पढ़ना अभी शेष है, क्या कहूँ? आपका चयन है अच्छी ही होंगी। पढूँगा अवश्य। ‘सृजन परिक्रमा‘ स्तंभ के अंतर्गत प्रकाशित समाचार भी ज्ञातव्य हैं। इसे जारी रखिएगा। आवरण-4 पर कमाल खावर के प्राकृतिक दृश्यों के फोटोग्राफ रमणीय हैं तथा अंक के भीतर बिखरे सूचक रेखाचित्रों के लिए डॉभूष् ाण साह साधुवाद के पात्र हैं। आपके संनिष्ठ समर्पण एवं जुझारू संघर्ष के मद्देनज़र ‘सृजन से‘ का प्रचार-प्रसार निर्विवाद है। आपका विलक्षण संपादकत्व देश के गुमराह युवा सर्जकों में नई सृजनात्मक चेतना जगाए-यही आपके प्रति मेरी हार्दिक मंगल कामना है।


भगवान दास जैन
अहमदाबाद (गुजरात)

Thursday, November 4, 2010