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Thursday, December 2, 2010

Feedback from Aacharya Darshney Lokesh Ji....

‘सृजन से‘ के अवलोकनार्थ प्रेषित अंक मिला धन्यवाद। पृष्ठ 43 पर ‘‘पहचान एक सही तिथि पत्रक की” जो कि मेरा ही लेख है, को प्रकाशित देखकर अति प्रसन्नता हुई, बहुत कम सम्पादक हैं जो कि मेरे लेख प्रकाशित करने का साहस रखते हैं। मैं धारा के विपरीत बहने की प्रचलन के विपरीत चलने की किन्तु सत्यार्थ और यथार्थ के पक्ष में अन्वेषण की बात करता हँू। आपका मार्ग सत्य के पक्ष में अधिक ही गुरूतर और प्रशंसनीय बनता है। मुझे अब उम्मीद करनी चाहिए कि आप जैसे लोग वैचारिक क्रान्त्ति के इस प्रयास में आगे ही रहंेगे। ज्योतिष की गभ्भीर त्रुटियों को दूर कर एक सत्य शुद्ध ‘‘पंचांग‘‘ दे पाने के सर्वथा अद्वितीय एवं अन्यतम प्रयास का नाम है ‘‘श्री मोहन कृति आर्ष तिथी पत्रक‘‘। समाज और संस्कृति के हित में आचार्य दार्शनेय लोकेश आपका उतना ही अधिक आभारी रहेगा जितना ही अधिक आपका प्रयास इस वैदिक तिथि पत्रक की सामाजिक प्रतिष्ठा करने में सहयोगी सिद्ध होगा। सत्य ये है कि भारत की धरती में ‘पंचांग’ नाम से जो भी कुछ प्रकाशित किया जा रहा है वह सब यथार्थ और सत्य से अलग केवल भ्रमात्मक प्रकाशन हैं। फलित ज्योतिष के लिए जिस भचक्र को लिया गया है वह बृहमाण्ड में कहीं नहीं है। कुल मिला कर कभी तो लगता है ज्योतिषी क्या उस व्यक्ति को तो नहीं कहा जाता है जो कि ज्योतिष के यथार्थ को जानता ही नहीं है। ये बातें कटुता हो सकती हैं किन्तु असत्य नहीं। संलग्न पत्रकों का ठीक अवलोकन करने पर यही कुछ आपको भी स्पष्ट हो जायेगा।


आचार्य दार्शनेय लोकेश
ग्रेटर नौएडा (उ0प्र0)

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